एक तरफ “घोस्ट बस्टर जी” हैं कहते हैं। कि “अब औरत होने का सबूत पेश करना होगा?” 🙂
और दूसरी तरफ हैं “रख्शंदा जी” कहती हैं कि “कौन लिख रहा है “घोस्ट बटर” के नाम से? 🙂
मैने ईनकी पोस्टे पढ लीया है और पढने मे बहुत मजा आया। जी हां कहानी की तरह पढता गया। फिर बाद मे उदासी छा गई मन में क्यो की “घोस्ट जी” भी सांत और “रख्शंदा जी” भी सांत पडती दीखाई दे रही थी।
मूझे लगा की लडाई खतम हो गया।
ईस लीये मै आग मे घी डालने आया हूं।
आपको भी आमंत्रन है ईस लडाई मे सामील होने का। जल्दी से Register Now करें। सिट बहुत कम बची हैं।
जो ईस लेख का वीद्रोह करेंगे उन्के बलाग का मै विरोधी पर देख लूंगा।
क्या ब्लागर के विचारो और लेखो को पढ के संतूस्ट नही हो सक्ते?
ब्लाग का मालीक कोई भी हो, यह देखें की वो कैसा लीख रहा है,(मेरे लीखावट को मत देखीये, जन्मो तक ऎसा ही रहेगा)
यही अनूरोध करता हूं की लडाई बंद कर दें, और भवीस्य मे ईसतरह के वीवाद ना हो तो हिन्दी ब्लाग के लीये अच्छा रहेगा।
क्यो की ईंसान पहले तर्क्की करता है और फीर गीरता है तो जमीन भी नही मीलती।
मतलब हिन्दी फैलता जा रहा है और तर्क्की कर रहा है, ईसमे ब्लाग भी सामील हैं।
अब एक मूखय खबर मैने http://www.virodhe.blogspot.com/ बनाया है। एक नई पहल। ईस तरह का साईट नही मीलेगा। (बच के रहीयेगा कहीं आपका ब्लोग मसहूर हूवा तो ये साईट बजाएगा आपकी साईट का बैन्ड।