आज निन्द खूलने से पहले एसा लगा की मेरा सांस रूक रहा है और मै जल्दी ही मरने वाला हूं, शरीर हीलाने की कोशीस कर रहा हूं पर कुछ नही हो रहा है और धीरे धीरे एसा लग रहा था की अब सासें रूकने वाली हैं।
अब मूझे लग रहा था की मै रजाई के अंदर हूं और मूझे ईसको कैसे भी हटाना है। मैने अपना सारा दम रजाई को हटाने मे लगा दिया लेकीन मेरा हाथ भी नही हीला।
अब मूझे लगने लगा की अब मै तो रजाई को हटा नही पा रहा हूं, ईसलिये अब चिल्लाने की कोशीस करने लगा लेकीन मूह से आवाज नही निकल पा रही थी।
फिर सपने मे ही सोचने लगा की एसा तो पहले भी हूवा है, ये तो सपना है लेकीन मै आखें भी नही खोल पा रहा था। कुछ देर बाद कम कम सांस लेने लगा और फिर धीरे धीरे पता ही नही चला और कुछ देर बाद कुछ अलग टाईप का सपना आने लगा।
मै १००% गारंटी लेता हूं की एसा आपके साथ भी बहुत बार हूवा होगा। दरअसल सच मे सांस की कमी होने लगती है और हम जब निंद से उठ जाते हैं या वैसे ही फिर सो जाते हैं।
एक अजीबो गरीब मरने वाला सपना आपको भी आता है?
एक बार मै 11 बजे तक सोता ही रह गया क्यों की एक अजीब सा सपना आय था।
क्यों सोता ही रह गया? ये बहुत साल पहले की बात है जब मै स्कुल मे पढता था और उस दिन स्कुल की छूट्टी थी और सपने मे देख रहा था की मै टपक गया हूं :)))(हा…..हा…..) और मन मे आ रहा था की अब तो मर गहा हूं, अब कैसे उठूंगा, और सोता चला गया………………ख्रर्ररररररररररररररर………ररररर…..रर सोता रहा। मूझे जब कोई जगाने लगा तो भी मन मे आ रहा था की अब जगाने का क्या फायदा……